WHAT IS BRICS?
क्या है ब्रिक्स?
– अंग्रेज़ी अक्षरों बी.आर.आई.सी.एस. से बना शब्द ‘ब्रिक्स’ दुनिया की पांच उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है. जैसा कि नाम से अनुमान लगाया जा सकता है, ये देश हैं – ब्राज़ील, रुस, भारत, चीन और दक्षिण अफ़्रीका.
– दक्षिण अफ़्रीका के इस आर्थिक समूह से जुड़ने से पहले इसे ‘ब्रिक’ ही कहा जाता था. दिसंबर, 2010 से पहले तक इस समूह में दक्षिण अफ़्रीका शामिल नहीं हुआ था, इसे तब ब्रिक देशों के नाम से जानते थे. साउथ अफ़्रीका के शामिल होने के बाद इसमें ‘एस’ जोड़ा गया तो ये ब्रिक्स बन गया.
– ‘ब्रिक’ शब्दावली के जन्मदाता इनवेस्ट बैंक गोल्डमैन सैक्स के चेयरमैन जिम ओ’नील हैं. ओ’नील ने इस शब्दावली का प्रयोग सबसे पहले वर्ष 2001 में अपने शोधपत्र में किया था. उस शोधपत्र का शीर्षक था, “बिल्डिंग बेटर ग्लोबल इकोनॉमिक ब्रिक्स”. ओ’नील अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कंसलटेंसी गोल्डमैन सैक्स से जुड़े हैं. जिम ओ’नील के इस प्रसिद्ध शोधपत्र के आठ साल बाद ब्रिक देशों की पहली शिखर स्तर की आधिकारिक बैठक 16 जून 2009 को रुस के येकाटेरिंगबर्ग में हुई.
– लेकिन इससे पहले ब्रिक देशों के विदेश मंत्री मई 2008 में एक बैठक कर चुके थे.
– इसके बाद वर्ष 2010 में ब्रिक का शिखर सम्मेलन ब्राज़ील की राजधानी ब्रासिलीया में हुई.
– इन देशों की सालाना बैठक किसी सदस्य देश की मेज़बानी में होती है, 2012 की शिखर बैठक भारत में हुई थी.
– दुनिया के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इन पाँचों देश की हिस्सेदारी 21 फ़ीसदी के करीब है. बीते 15 सालों में दुनिया भर के जीडीपी में इनकी हिस्सेदारी तीन गुना बढ़ी है.
– ब्रिक्स देशों में दुनिया भर की करीब 43 फ़ीसदी आबादी रहती है.
– ब्रिक्स देशों के पास कुल मिलाकर करीब 44 खरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है.
– ब्रिक्स देशों के बीच आपसी कारोबार लगभग 300 अरब डॉलर तक पहुँच गया है. 2015 तक इसके 500 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. 2002 में यह महज 27.3 अरब डॉलर था.
बढ़ा है योगदान
– ब्रिक्स के देशों ने 1990 के दशक से अब तक विश्व में अपने आर्थिक योगदान को दोगुना किया है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानि आईएमएफ का कहना है कि इनकी जीडीपी वर्ष 2015 के पहले यूरो क्षेत्र से अधिक हो जाएगी.
– ब्रिक्स के ‘ट्रेड और इक्नॉमिक रिसर्च नेटवर्क’ के अनुसार दुनिया की 43 प्रतिशत आबादी और 18 प्रतिशत वैश्विक व्यापार इन पांच देशों से आता है, और यह विश्व की 53 प्रतिशत आर्थिक पूंजी अपनी ओर खींचते हैं.
– ब्रिक्स के देशों में ऐसी व्यापार प्रणाली की ओर बढ़ने की तरफ चर्चा होनी चाहिए जिसमें केवल इन पांच देशों की मुद्रा का इस्तेमाल किया जाए.इस प्रणाली में ब्रिक्स का व्यापार और निवेश रिएल, रूबल, रुपया, युआन और रैंड मुद्राओं में होगा.
-अब जबकि रुस विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बन चुका है, ब्रिक्स के देशों को इस संगठन के एजेंडे को चलाने में पहल करनी चाहिए , इन पांच देशों को बहुपक्षीय व्यापार एजेंडा चलाना चाहिए.
ब्रिक्स देशों के बीच मतभेद और मुद्दे
-ब्रिक्स देश आर्थिक मुद्दों पर एक साथ काम करना चाहते हैं लेकिन इनमें से कुछ के बीच राजनीतिक विषयों पर भारी विवाद हैं. इन विवादों में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद प्रमुख है. संबंधों में गर्मजोशी के बावजूद भारत और चीन एक दूसरे को एक विवादित और सैन्यीकृत सरहद के आर-पार खड़े पाते हैं.
– भारत चीन के पाकिस्तान के साथ संबंधों के बारे में भी असहज है.
– इतना ही नहीं अभी इन पांच देशों के बीच ब्रिक्स को औपचारिक शक्ल देने पर भी मतांतर हैं. मसलन ब्रिक्स का सैक्रेटेरिएट बनाने पर भी फ़िलहाल कोई सहमति नहीं हो पाई है.
– साथ ही इस विषय पर भी कोई साफ़ विचार नहीं है कि समूह में नए सदस्यों को कैसे और कब जोड़ा जाए. रुस और ब्राज़ील में हुए सम्मेलन किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचे थे.
– इसके अलावा भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ़्रीका में मज़बूत लोकतांत्रिक व्यवस्था है और ये देश अमरीका के साथ अपने नज़दीकी संबंधों के लिए जाने जाते हैं.
– लेकिन इसी समूह में चीन भी है जहां साम्यवादी शासन है और ग़ैर-कम्यूनिस्ट राजनीतिक गतिविधियों के लिए सहनशीलता ना के बराबर है.
– ब्राज़ील चीन की मुद्रा युआन को जानबूझ कर सस्ता रखे जाने पर चिंता व्यक्त कर चुका है, चीन ये बात साफ़ कर चुका है कि युआन का मुद्दा ब्रिक्स में बहस के लिए नहीं उठाया जा सकता.
6th bricks -2014 held in Brazil.
COURTESY Mr GAURAV SINGH