FACTS ABOUT PRESIDENTS OF INDIA
राष्ट्रपति
जिनमें से प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 2 बार इस पद को सुशोभित किया है। राष्ट्रपति की पदावधि 5 वर्ष की होती है। लेकिन राजेन्द्र प्रसाद 10 वर्ष से अधिक की अवधि तक राष्ट्रपति का पद धारण किये था। इसका कारण यह था कि 1952 में राष्ट्रपति के प्रथम चुनाव के पूर्व ही 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के द्वारा राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद का चुनाव कर लिया गया था। संविधान के प्रवर्तन की तिथि अर्थात् 26 जनवरी, 1950 से लेकर 12 मई, 1952 तक राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति के पद पर रहे।
भारत में अब तक 13 बार राष्ट्रपति के चुनाव हुए हैं, जिनमें से एक बार, अर्थात्1977 में, श्री नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध राष्ट्रपति चुने गये थे। शेष 12 बार राष्ट्रपति पद के चुनाव में एक से अधिक उम्मीदवार थे।
अब तक केवल डॉ. राजेंद्र प्रसाद, फ़ख़रुद्दीन अली अहमद, नीलम संजीव रेड्डी तथा ज्ञानी ज़ैल सिंह को छोड़कर अन्य सभी राष्ट्रपति पूर्व में उपराष्ट्रपति के पद को सुशोभित कर चुके थे। डॉ. एस. राधाकृष्णन लगातार दो बार उपराष्ट्रपति तथा एक बार राष्ट्रपति के पद पर आसीन हुए।
निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में वी.वी. गिरी ऐसे राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे, जिन्होंने कांग्रेस का स्पष्ट बहुमत होते हुए भी उसके उम्मीदवार को पराजित किया था। अब तक नीलम संजीव रेड्डी एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हुए हैं, जो एक बार चुनाव में पराजित हुए तथा बाद में निर्विरोध निर्वाचित हुए।
19 जुलाई, 2007 को सम्पन्न 13वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मण्डल में 4,896 सदस्य थे, जिसमें 776 सांसद और 4,120 विधायक शामिल हैं। इन सबका कुल मत मूल्य 10,98,882 था। वर्तमान में प्रत्येक सांसद का मत मूल्य 708 है। सांसदों का कुल मत मूल्य 5,49,408 और विधायकों का कुल मत मूल्य 5,49,474 है। राज्यों में उत्तर प्रदेश विधानसभा का मत मूल्य सर्वाधिक 83,824 है। इसके बाद क्रमश: महाराष्ट्र विधानसभा का मत मूल्य 50,400,पश्चिम बंगाल का 44,394, आंध्र प्रदेश का 43,512 और बिहार विधानसभा का मत मूल्य 42,039 है। सिक्किम विधानसभा का मत मूल्य सबसे कम 224 है।
COURTESY OF Mr SANTOSH KUMAR