How Parliamentary and Assembly Seats are Decided
How Parliamentary and Assembly Seats are Decided
सबसे पहले बात करते हैं राज्य विधानसभा की… यह तो सभी जानते ही है कि राज्य विधानसभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष मतदान से वयस्क मताधिकार द्वारा किया जाता है। अब जो तुम्हारा प्रश्न है कि किस राज्य की विधानसभा में कितने सदस्य हैं यह कैसे पता लगाया जाए, तो यह मुश्किल है। क्यूंकि संविधान में संख्या निर्धारण नहीं हुआ है सिर्फ यह कहा गया है की विधानसभा में सदस्यों की संख्या राज्य की जनसँख्या पर निर्भर करेगी अर्थात यदि जनसँख्या ज्यादा है तो विधानसभा में सदस्य की संख्या भी अधिक होगी और जनसँख्या कम है तो कम होगी। लेकिन फिर भी संविधान में यह जरूर निश्चित किया गया है कि किसी भी राज्य में विधानसभा के सदस्यों की संख्या अधिकतम 500 व न्यूनतम 60 हो सकती है और यह राज्य की जनसँख्या पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के जनसँख्या सर्वाधिक है अतः वहाँ विधानसभा में 400 से भी अधिक सदस्य है वही छात्तीसगढ़ में कम जनसँख्या है तो वहाँ विधानसभा के सदस्यों की संख्या 90 है।
ध्यान देने योग्य बात यहाँ यह भी है कि अरुनाचल प्रदेश, सिक्किम व् गोवा की विधानसभा में 30 सदस्य होंगे। वहीँ मिजोरम में 40 व नागालैंड में 46 होते हैं। एक चुनाव क्षेत्र से एक सदस्य चुना जाता है। और यह चुनाव क्षेत्र जनसँख्या पर निर्भर होता है । और यह इस प्रकार निर्धारित होता है कि राज्य के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को समान प्रतिनिधित्व मिले। साथ ही प्रत्येक जनगणना के पश्चात निर्वाचन क्षेत्र का पुनर्निर्धारण होता है। परिसीमन आयोग इसीलिए होता है।
यही अवस्था संसद के निम्न सदन अर्थात लोकसभा की है। लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 निर्धारित है जिसमे 530 राज्यों से, 20 सदस्य संघ शासित प्रदेशों से व् 2 सदस्य एंग्लो इन्डियन समुदाय से होते हैं जिन्हें राष्ट्रपति नामित करता है। वर्तमान में लोकसभा में 545 सदस्य हैं जिनमे 530 राज्यों से 13 संघ शासित प्रदेशों से और 2 एंग्लो इडियन हैं। अब तुम्हारा प्रश्न की राज्यों से सदस्यों की संख्या का निर्धारण कैसे हो…? इस सम्बन्ध में संविधान में दो उपबंध हैं:
1). लोकसभा में सीटों का आवंटन प्रत्येक राज्य के लिए इस रीति से किया जाएगा कि राज्यों की संख्या से उस राज्य की जनसँख्या का अनुपात प्रत्येक राज्य हेतु यथासंभव समान हो। 60 लाख से कम जनसँख्या वाले राज्यों पर यह नियम लागू नहीं है।
2). प्रत्येक राज्य को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में इस प्रकार विभाजित किया जाए कि उस निर्वाचन क्षेत्र की जनसँख्या उस राज्य को आवंटित सीटों की संख्या से अनुपात लगभग सामान हो। इसका भी सीधा सादा मतलब यही है की किसी राज्य की अधिक जनसँख्या मतलब अधिक लोकसभा की सीटें। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में जनसँख्या सर्वाधिक तो लोकसभा की सीटें भी सर्वाधिक अर्थात 80… वही राजस्थान की जन्संक्या सापेक्षतः कम है तो लोकसभा की सीटें भी सिर्फ 25 हैं। संक्षेप में संविधान में सिर्फ यह ही सुनिश्चित है की लोकसभा में किसी राज्य सीटों की संख्या का उस राज्य की जनसँख्या से अनुपात लगभग समान हो।
वहीं राज्यसभा हेतु अधिकतम सीटें 250 ( 238 राज्यों व केंद्र शासित राज्यों से, 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत) हैं। वर्तमान में राज्यसभा में 245 सदस्य हैं जिनमे 233 राज्यों से व् 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत हैं। ये भी जनसँख्या के आधार पर। यहाँ ध्यान देने योग्य बात ये है कि राज्यसभा के सद्स्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष मतदान द्वारा होता है।
COURTESY OF Mr SHIV KISHOR